फ़ोटोग्राफ़ी में रूचि लेने वाले अधिकांश व्यक्तियों को यह लगता है कि नए मॉडल का बेहतरीन कैमरा खरीद लेने पर उनकी फोटोग्राफी निखर जाएगी. अच्छे कैमरे की ज़रूरत को कम करके नहीं आंका जा सकता लेकिन फोटोग्राफी में विचार और तकनीक का महत्व संसाधनों से कहीं अधिक है. यदि अभ्यास नियमित हो और कुछ सामान्य गलतियों को दोहराया न जाए तो साधारण कैमरों से भी उम्दा फोटो खींचे जा सकते हैं. इस आरंभिक लेख में किसी भी प्रकार के कैमरे से अच्छे फोटो खींचने के लिए कुछ टिप्स दी जा रहीं हैं. लेख में बताए गए कुछ तकनीकी फीचरों पर इसी ब्लॉग में अलग से विस्तृत लेख पोस्ट किए जाएंगेः
1) अपने कैमरे को जानिए - कैमरे के मैनुअल को पढें. कुछ सामान्य बातों जैसे कैमरे की हैंडलिंग और चार्जिंग को सबसे पहले पढ़ लें. इसके बाद कैमरे के सभी कंट्रोल, बटन, स्विच, और मेनू कमांड्स की जानकारी लें. कैमरे के कुछ मूलभूत फीचर्स जैसे फोटो लेना, फ्लैश चालू करना, फोकस व जूम करना सीखें. कुछ कैमरों के प्रिंट मैनुअल छोटे होते हैं लेकिन कंपनी की वेबसाइट पर विस्तृत मैनुअल उपलब्ध होता है जिसे डाउनलोड करके रख सकते हैं. अपने कैमरे का मॉडल नंबर नेट पर सर्च करने पर आप यूट्यूब पर उसके रिव्यू और बेसिक ऑपरेशन संबंधित वीडियो भी देख सकते हैं.
2.1) फोटो खींचने से पहले की सैटिंग्स - हर डिजिटल कैमरा कई आकार और रिजोल्यूशंस में फोटो ले सकता है. यदि आप हाई-क्वालिटी फोटो लेना चाहते हों तो सैटिंग में जाकर ‘Fine’ सेलेक्ट कर लें. ध्यान दें कि हाई-क्वालिटी फोटो का साइज अधिक होता है और इन्हें सेव करने में कैमरे को अधिक समय लगता है, इसलिए आपको ज्यादा कैपेसिटी (GB) का हाई-स्पीड वाला मेमोरी कार्ड कैमरे में रखना पड़ेगा. हाई-क्वालिटी फोटो को बाद में एडिट करना आसान होता है. यदि खींची गई फोटो को बाद में प्रिंट भी करना हो तो हाई-क्वालिटी फोटो लेना ही सही रहेगा.
2.2) सही कैमरा मोड (Mode) का चुनाव -यदि आपके पास पॉइंट-एंड-शूट कैमरा हो तो उसे ऑटो मोड में सेट करें. यदि आपके पास डिजिटल एसएलआर या मिररलेस इंटरचेंजेबल कैमरा हो तो नए फोटोग्राफरों के लिए प्रोग्राम मोड या ‘P’ मोड में फोटो लेना सबसे सुविधाजनक होगा. कई एक्सपर्ट फोटोग्राफर नए सीखनेवालों को सीधे ही कंप्लीट मैनुअल मोड में फोटो खींचना शुरू करने की सलाह देते हैं लेकिन यह उन्हीं के लिए सही है जिन्हें फोटोग्राफी के सैद्धांतिक पक्ष की अच्छी जानकारी हो. मैनुअल मोड में फोटो लेते समय कई बातों और बारीकियों का ध्यान रखना पड़ता है. अध्ययन और मार्गदर्शन के बिना यदि आपने मैनुअल मोड या मैनुअल फोकस का प्रयोग करेंगे तो आपके फोटो धुंधले, डार्क, या ज्यादा उजले आ सकते हैं.
3.1) अपना कैमरा हमेशा साथ रखें - अपनी फोटोग्राफी को जल्द-से-जल्द निखारना चाहते हों तो कैमरा हमेशा अपने साथ रखें. हाथ में कैमरा होने पर रोजमर्रा के परिचित दृश्यों को देखने का तरीका बदल जाता है. आपका ध्यान उन बातों पर भी जाने लगता है जिन्हें आप अमूमन देखकर अनदेखा कर देते हैं. जब आपका परिवार, परिचित और मित्र आपको हमेशा कैमरे के साथ देखते हैं तो वे इसके अभ्यस्त हो जाते हैं और अपनी फोटो खिंचवाते समय अनमने-से नहीं लगते. इस माहौल में लिए गए फोटो नैचुरल लगते हैं, अन्यथा वे जबरन बिठालकर खींचे गए यांत्रिक फोटो जैसे दिखते हैं. यदि आप कैमरा हमेशा अपने साथ रखेंगे तो आपको एक्स्ट्रा सैल या बैटरी भी हमेशा साथ रखनी पड़ेंगी.
3.2) घर से बाहर निकलिए - घर से बाहर निकलकर दिन के अलग-अलग कालखंड में नैचुरल लाइट में फोटो लीजिए. एक ही स्थान की फोटो दिन के अलग-अलग घंटों में खींचकर उनका अवलोकन कीजिए. इससे आपको यह जानकारी मिलेगी कि नैचुरल लाइट की क्वालिटी पूरे दिनभर एक सी नहीं रहती और प्रायः सुबह, शाम, या बादलों की मौजूदगी में खींचे फोटो अधिक सुंदर लगते हैं. अलसुबह जब अधिकांश लोग सो रहे हों तब फोटो लेने के लिए निकल चलिए. धीरे-धीरे आप यह जान जाएंगे कि कुछ खास घड़ियों में नैचुरल लाइट बहुत अधिक प्रभावकारी और अनोखी होती है.
4.1) कैमरे का उपयोग - कैमरे के लेंस या फ्लेश के सामने अपनी उंगलियां, कैमरा स्ट्रैप जैसी चीजें नहीं आने दें. लेंस के सामने आनेवाली ऐसी ज़रा सी भी रुकावट से फोटो बिगड़ जाता है. ऐसा होने की संभावना पॉइंट-एंड-शूट कैमरों में अधिक होती है. हड़बड़ी में फोटो लेते समय अक्सर लोग यह गलती करते हैं.
4.2) व्हाइट बैलेंस चेक करें - डिजिटल फोटोग्राफी में व्हाइट बैलेंस बहुत महत्वपूर्ण फैक्टर है. व्हाइट बैलेंस के महत्व, आवश्यकता और उपयोग पर चर्चा अलग से की जाएगी. आपने देखा होगा कि कुछ परिस्थितियों में खींचे गए फोटो में अत्यधिक सुनहरापन, लालिमा या नीलिमा झलकती है. ऐसा व्हाइट बैलेंस की गलत सेटिंग हो जाने पर होता है. यदि आप ऑटो मोड में फोटो लेते हों तो आपको इसे सेट करने की ज़रूरत नहीं है. इन्डोर फोटोग्राफी के लिए व्हाइट बैलेंस को ऑटो पर सेट रखें. आउटडोर फोटोग्राफी के समय व्हाइट बैलेंस को क्लाउडी (Cloudy) पर सेट रखने से फोटो में खूबसूरत सुनहरा-पीला प्रभाव दिखता है, जो कभी-कभी अधिक लालिमा लिए होता है, जिसे सॉफ्टवेयर से सुधारा जा सकता है. यदि आप अपने खींचे हर फोटो को कंप्यूटर/सॉफ्टवेयर से एडिट करने के आदी हों तो ऑटोमेटिक व्हाइट बैलेंस सेटिंग हर दशा के लिए उपयुक्त रहेगी.
4.3) ISO स्पीड कम रखिए - कम प्रकाश में फोटो खींचने के लिए ISO की समुचित जानकारी होना आवश्यक है. ISO फोटोग्राफी के तीन स्तंभों में से एक है (अन्य दो हैं ‘एपरचर’ और ‘शटर स्पीड’). इनपर ब्लॉग में आगे विस्तार से लिखा जाएगा. सामान्य शब्दों में कहें तो ISO सेंसर की प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता है. कैमरे का सेंसर इसका सबसे महत्वपूर्ण (और सबसे महंगा) भाग होता है. कम प्रकाश में फ्लैश का उपयोग किए बिना फोटो खींचने के लिए सेंसर की संवेदनशीलता को बढ़ाना पड़ता है. प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता को ISO नंबर में व्यक्त किया जाता है. ऊंचे ISO नंबर पर फोटो खींचने से फोटो में बारीक दाने (grain) जैसे दिखते हैं जिन्हें नॉइस (noise) कहा जाता है. पॉइंट-एंड-शूट कैमरों के सेंसर छोटे होते हैं इसलिए कम प्रकाश में इनसे खींची गई फोटो में नॉइस दिखने की संभावना अधिक होती है. कभी-कभी कम शटर स्पीड पर फोटो लेते वक्त भी अधिक ISO स्पीड का चुनाव करना पड़ता है. इन परिस्तिथियों में फोटो लेने के लिए ट्राइपॉड, सेल्फ टाइमर, या रिमोट का प्रयोग भी करना पड़ता है.
5.1) फोटो कंपोज़ करना सीखिए - एलसीडी स्क्रीन या व्यूफाइंडर में देखने से पहले अपने मन में ली जानेवाली फोटो की छवि रचिए. रूल-ऑफ़-थर्ड्स (Rule of Thirds) का उपयोग करें, जिसके अनुसार फ्रेम को दो आड़ी और दो खड़ी रेखाएं खींचकर समान आकार के नौ चतुर्भुजों में बांटकर एक-दूसरे को काटनेवाली रेखाओं पर सबसे महत्वपूर्ण विषय को स्थान दिया जाता है. जहां तक संभव हो, क्षैतिज रेखा को फोटो के बींचोंबीच रखने से परहेज करें.
परिवेश के बैकग्राउंड का चुनाव ध्यान से करें और फालतू चीजों को वहां से हटा दें. कभी-कभी ली गई फोटो में पेड़ या बिजली के खंभे सर से निकलते प्रतीत होते हैं. इससे बचने के लिए या तो स्वयं अपना स्थान बदल लें या अपने विषय को स्थान बदलने के लिए कहें. यदि आप सपरिवार भ्रमण पर निकले हों तो दो घड़ी के लिए अपने बैग और थैले एक ओर रखकर फोटो खिंचवाएं. यदि आपके कैमरे में पोर्ट्रेट मोड हो तो उसका प्रयोग बैकग्राउंड को धुंधला रखने के लिए करें.
5.2) ऊपरी दी गई सलाह को नज़रअंदाज़ करें - बिंदु 5.1 में बताई गई बातें फोटोग्राफी के सामान्य नियम हैं लेकिन उन्हें पत्थर की लकीर मानकर हर परिस्तिथि में उपयोग करना सही नहीं होगा. कभी-कभी अच्छा शॉट लेने के लिए रूल-ऑफ़-थर्ड्स (Rule of Thirds) को जान-बूझकर नज़रअंदाज़ करना पड़ता है. किसी पार्क, टूरिस्ट प्लेस, या पर्वत के पास बैकग्राउंड को फोटो में शार्प फोकस में रखने से संदर्भ, रंग, और कंट्रास्ट उभर कर आता है. इसी तरह कभी-कभी परिपूर्ण सिमेट्री (symmetry) फोटो में नाटकीय तत्व दर्शाती है. फोटोग्राफी के हर नियम को अच्छे से सीखकर उन्हें मनमाफिक तौर से तोड़ना-मरोड़ना फोटो को यूनीक बना देता है.
5.3) फ्रेम को पूरा भरें - विषय-वस्तु के समीप जाने से संकोच न करें. इसके उल्टे यदि आप ज्यादा मैगापिक्सल वाला कैमरा इस्तेमाल कर रहे हों तो दूर से फोटो खींचकर बाद में क्रॉप (crop) कर सकते हैं.
5.4) रोचक कोण की खोज करें - हमेशा ही आमने-सामने फोटो खींचने की बजाय थोड़ा दाएं-बाएं या ऊपर-नीचे होकर अवलोकन करें. उस कोण का चुनाव करें जिसमें रंग अधिक और परछाईं कम हो. थोड़ा नीचे से फोटो लेने पर विषय को लंबा या ऊंचा दिखाया जा सकता है. इसी तरह थोड़ा ऊपर से फोटो लेने पर विषय छोटा या बौना प्रतीत होता है. अनोखे कोण से फोटो लेने पर शॉट बहुत रोचक बनता है.
5.5) सटीक फोकस करें - अधिकतर फोटो खराब फोकस के कारण बिगड़ जाते हैं. यदि आपके कैमरे में उपलब्ध हो तो ऑटोमैटिक फोकस का प्रयोग करें. शटर बटन को थोड़ा सा या आधा दबाने से कैमरा ऑटोफोकस होता है. मैनुअल फोकस का उपयोग तभी करें जब ऑटोफोकस में कोई समस्या हो या उससे बात नहीं बन रही हो. कैमरे की फोकस-एक्सपोज़र मीटरिंग भी डिफॉल्ट पर ही रहने दें.
जारी…
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