1 – शटर स्पीड फ़ास्ट रखें - यदि आपकी शटर स्पीड कम है तो फ़ोटो में गति का प्रभाव स्पष्ट दिखेगा. इसे मोशन-ब्लर (motion blur) कहते हैं. फ़ोटोज़ सॉफ्ट या धुंधली फ़ोटो खिंचने के सभी कारणों में से शटर स्पीड कम होना सबसे महत्वपूर्ण कारण है. फ़ोटो खींचते वक्त शटर स्पीड का निर्धारण कई बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है लेकिन सामान्य परिस्तिथियों में आप यह याद रखें कि शटर स्पीड को फोकस दूरी के अनुसार सेट करें. उदाहरण के लिए, यदि आप लेंस को 30 मिमी पर सेट करके फ़ोटो ले रहे हों तो शटर स्पीड को कम-से-कम (एक सेकंड का) 1/30 अंश रखें. यदि आप लेंस को 55 मिमी पर सेट करके फ़ोटो ले रहे हों तो शटर स्पीड को कम-से-कम (एक सेकंड का) 1/60 अंश रखें. शटर स्पीड इनसे कम होने पर फ़ोटो में मोशन-ब्लर आ सकता है. यदि आपका कैमरा क्रॉप सेंसर वाला है तो आपको शटर स्पीड लगभग डेढ़ गुना अर्थात 1/45 या 1/100 करनी चाहिए क्योंकि क्रॉप सेंसर वाले कैमरों में तकनीकी कारणों से डेढ़ गुना आवर्धन होता है.
2 – ट्राइपॉड का उपयोग करें - कम शटर स्पीड पर फ़ोटो लेते समय ट्राइपॉड का उपयोग करना अपरिहार्य हो जाता है. ट्राइपॉड के कई अन्य फायदे भी हैं, जैसे कि इससे कैमरा लेवल पर रखने में आसानी होती है और आप कैमरे के मेनू तथा कंट्रोल्स को अच्छे से एडजस्ट कर सकते हैं. यदि आपके पास ट्राइपॉड नहीं हो और आपको कैमरा स्थिर रखने में कठिनाई हो तो आप फ़ोटो लेने के लिए कैमरे को बर्स्ट मोड का उपयोग करके एक बार में कई फ़ोटो लें और उनमें से उस फ़ोटो को चुन लें जो सबसे अधिक शार्प आई हो.
3 – अच्छा लैंस चुनें - पहली बार डीएसएलआर कैमरा खरीदने वाले अधिकांश लोग उसे 18-55 मिमी किट लेंस के साथ खरीदते हैं. किट लैंसों की गुणवत्ता पर बहुत से लोग संदेह करते हैं लेकिन आजकल कंपनियां बहुत अच्छे किट लैंस बना रहीं हैं. किट लैंसों में एक प्रमुख कमी यह होती है कि उनका मैक्सिमम अपरचर (छोटा f नंबर) कम होता है इसलिए वे बहुत कम प्रकाश में फ़ोटो लेने के लिए उपयुक्त नहीं होते. मेरा सुझाव है कि किट लैंस के साथ आपको एक अतिरिक्त 35 मिमी या 50 मिमी का फिक्स फोकस दूरी वाला प्राइम लैंस भी लेना चाहिए जिसका मैक्सिमम अपरचर (छोटा f नंबर) प्रायः f/1.8 होता है, जबकि किट लैंस का मैक्सिमम अपरचर (छोटा f नंबर) प्रायः f/3.5 से f/5.6 तक होता है. बड़े मैक्सिमम अपरचर (छोटा f नंबर) वाले लैंस कम प्रकाश में बेहतर फ़ोटो खींचते हैं और इनकी फोकस दूरी फिक्स होने के कारण इनकी बनावट किट लैंस से अलग होती है. प्राइम लैंसों में ज़ूम नहीं होता जिससे इनकी गुणवत्ता बढ़ जाती है. मेरा पसंदीदा प्राइम लैंस है 35 मिमी f/1.8 जिससे खींची गई फ़ोटो की शार्पनेस और डीटेल बेजोड़ हैं. इस लेंस से खींची फ़ोटो और उसका डीटेल नीचे देखिएः
4 – बेहतर फोकस करना सीखें - कैमरे के ऑटो मोड में खींची फ़ोटो में हर बार फोकस ठीक नही आता. आप मैनुअल मोड में फ़ोटो खींचते समय व्यूफाइंडर में देखकर दृश्य के किसी विशेष बिंदु पर फोकस पॉइंट को ले जाकर फोकस सेट कर सकते हैं. यह विधि उन कैमरों में बेहतर काम करेगी जिनमें 9 या उससे अधिक फोकस पॉइंट में से किसी एक का चयन किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त आप चाहें तो कैमरे के फोकस लॉक सुविधा का उपयोग भी कर सकते हैं. किसी व्यक्ति के चेहरे पर करीब से फोकस करते समय उसकी आंखों को फोकस में रखना चाहिए क्योंकि चमकती स्पष्ट आंखें फ़ोटो में सबसे पहले ध्यान खींचतीं हैं. यदि फोकस आंखों पर किया गया है तो चेहरे के दूसरे हिस्सों का धुंधलापन दब जाता है. नीचे दिए गए चित्र में फोकस आंखों के स्थान पर गलती से बच्चे के बालों पर हो गया है इसलिए आंखें क्रिस्टल-क्लियर नहीं आईं हैं.
5 – इमेज-स्टेबलाइजेशन या वाइब्रेशन रिडक्शन का उपयोग करें - लगभग सभी नए किट लैंसों में इमेज-स्टेबलाइजेशन या वाइब्रेशन रिडक्शन फीचर उपलब्ध होता है जिससे आप कम शटर स्पीड और बड़े अपरचर (छोटा f नंबर) पर फ़ोटो खींच सकते हैं. इमेज-स्टेबलाइजेशन या वाइब्रेशन रिडक्शन में लैंस के भीतर का मैकेनिज्म हाथ हिलने के कारण होने वाले कंपनों के प्रभाव को कम कर देता है और कम शटर स्पीड में भी अच्छी फ़ोटो लेना संभव हो जाता है. कई पॉकेट कैमरों में यह तकनीक कैमरे में ही उपलब्ध होती है. ध्यान दें, ट्राइपॉड पर कैमरा लगाकर फ़ोटो खींचते समय इमेज-स्टेबलाइजेशन या वाइब्रेशन रिडक्शन फीचर को ऑफ कर देना चाहिए क्योंकि स्थिर कैमरे में इस फीचर का उपयोग करने पर भी यह फीचर कंपन उत्पन्न करता रहता है, जिससे फ़ोटो शार्प आने की संभावना कम हो जाती है.
6 – कैमरे के स्वीट-स्पॉट पर अधिकांश फ़ोटो खींचिए - आप कैमरे में किसी भी अपरचर पर फ़ोटो खींच सकते हैं लेकिन कुछ अपरचर पर खींची गई फ़ोटो अधिक शार्प आने की संभावना होती है क्योंकि उस अपरचर का आकार लैंस के पिछले सिरे (जिससे होकर प्रकाश कैमरे में प्रवेश करता है) के लगभग समान होता है, जिससे सेंसर पर गिरनेवाला प्रकाश बिखरता नहीं है. जिन लैंसों का मैक्सिमम अपरचर (छोटा f नंबर) f/3.5 है उनका स्वीट-स्पॉट अपरचर f/8 से f/11 तक माना जाता है. जिन लैंसों का मैक्सिमम अपरचर (छोटा f नंबर) f/2.8 है उनका स्वीट-स्पॉट अपरचर f/5.6 से f/8 तक माना जाता है. इससे यह स्पष्ट होता है कि लैंसों के स्वीट-स्पॉट उनके मैक्सिमम अपरचर (छोटा f नंबर) से एक-दो अपरचर नीचे होते हैं. यदि रौशनी अच्छी हो तो इन्हीं अपरचरों में फ़ोटो लेने पर फ़ोटो शार्प आने की संभावना अधिक होती है. सामान्यतः बड़े अपरचर (छोटा f नंबर) पर फ़ोटो सबसे अधिक शार्प नहीं आतीं.
7 – ISO कम रखें - आप जितने कम ISO में फ़ोटो खींचेंगे, फ़ोटो उतनी ही अधिक शार्प आएगी. अपने कैमरे के मैनुअल में देखकर ऑटो ISO बेस वैल्यू को सेट करें ताकि उससे अधिक ISO पर फ़ोटो लेते समय कैमरा चेतावनी दे. इस विषय पर विस्तार से लिखना उपयुक्त रहेगा, फिलहाल आप इतना जान लें कि 200 से अधिक ISO पर फ़ोटो में शार्पनेस कम होती जाती है और नॉइस बढ़ती जाती है. नीचे ली गई फ़ोटो में असावधानीवश कैमरा अधिक ISO पर सेट रह गया जिससे बच्चों के चेहरे पर शार्पनेस कम हो गई और नॉइस बढ़ गई.
8 – RAW में फ़ोटो खींचिए - मेरे पहले डिजिटल कैमरे में RAW फ़ोटो लेने की सुविधा नहीं थी. आजकल सभी DSLR और कुछ उन्नत पॉइंट-शूट कैमरों में RAW फ़ोटो लेने की सुविधा मिलती है. कैमरे द्वारा ली गई RAW इमेज फाइल में JPEG फाइल की तुलना में बहुत अधिक डेटा स्टोर होता है जिससे सॉफ्टवेयर पर पोस्ट-प्रोसेसिंग में बहुत सी कमियों को दूर किया जा सकता है. इसे अभ्यास से सीखा जा सकता है.
9 – कम ज़ूम करें - फ़ोटो लेते समय अधिक ज़ूम का प्रयोग कम-से-कम करें. टेलीफ़ोटो के स्थान पर वाइड लैंस का प्रयोग करें. जूम करने से कैमरे के भीतर कम प्रकाश जाता है जिससे फ़ोटो की शार्पनेस कम हो जाती है.
DSLR पर बिना किसी ट्रेनिंग के फ़ोटो लेनेवाले लोगों को मेरी सलाह है कि वे ऑटो मोड के स्थान पर अपरचर-प्रायोरिटी मोड में फ़ोटो लेना शुरु करें. पहले यह जांच लें कि उनके कैमरे में इवैल्यूएटिव (कैनन) या मैट्रिक्स (निकॉन) मीटरिंग मोड सक्रिय किया गया हो. भरपूर प्रकाश वाली दशाओं में शटर बटन को आधा दबाने पर कैमरा फोकस करेगा. इसी समय कैमरा अपने आप अपरचर और शटर स्पीड तय करेगा, जिसे आप व्यूफाइंडर या एलसीडी स्क्रीन पर देख सकते हैं. यदि शटर स्पीड (एक सेकंड के) 1/100 या उससे अधिक हो तो आप बेहिचक फ़ोटो ले सकते हैं और उन्हें स्क्रीन पर मैग्नीफाई करके जांच सकते हैं. यदि शटर स्पीड (एक सेकंड के) 1/100 या उससे कम हो तो आपके सामने कई विकल्प हैं – आप फ्लैश उठा सकते हैं (जिसका प्रभाव कम दूरी तक ही रहेगा), या ISO बढ़ा सकते हैं (200 से अधिक ISO का प्रभाव इमेज पर स्पष्ट दिखने लगता है), कैमरा ट्राइपॉड पर लगा सकते हैं ताकि स्लो शटर स्पीड पर फ़ोटो ले सकें (ऐसा स्थिर दृश्य की फ़ोटो के लिए ही सही रहेगा), यदि फ़ोटो इन्डोर ले रहे हों तो कमरे की खिड़की-दरवाजे खोलकर तथा सभी लाइटें जलाकर रौशनी बढ़ा सकते हैं. ध्यान दें, बहुत कम प्रकाश में ऑटो-फोकस कई बार ठीक से काम नहीं करता, जिससे कैमरा को सही फोकस करने में कठिनाई होती है, इसलिए यथासंभव अच्छे प्रकाश में ही फ़ोटो लें.
सबसे कठिन टिप - आप जिसकी फ़ोटो ले रहे हों उन्हें स्टिल खड़ा होने के लिए कहें. आपको शायद यह टिप बेकार की लग रही होगी लेकिन मेरे मामले में यह बहुत महत्वपूर्ण है. मैं बहुत अधिक फ़ोटो नहीं खींचता हूं और मेरे बच्चे मेरे प्रिय फ़ोटोग्राफ़ी सब्जेक्ट्स हैं. उनकी फ़ोटो लेते समय उन्हें बड़ी मुश्किल से मूर्तिवत खड़ा रखना पड़ता है. कम शटर-स्पीड पर उनके हिलने-डुलने से फ़ोटो में मोशन-ब्लर आ जाता है. आप किसी की फ़ोटो लेने से पहले अपने कैमरे को तैयार कर लें क्योंकि अधिक कंट्रोल वाले कैमरे को एडजस्ट करने में शौकिया फ़ोटोग्राफ़र को कुछ लगता है. कई बार फ़ोटो खिंचवा रहे व्यक्ति इतना सब्र नहीं दिखा पाते और हिल जाते हैं या उनका मूड ऑफ हो जाता है.
अलग-अलग दशाओं में और भिन्न कैमरा सेटिंग का उपयोग करके खूब सारी फ़ोटो खींचिए. उन्हें कंप्यूटर की स्क्रीन पर बड़ा करके देखिए. धीरे-धीरे आपको अपने फ़ोटोज़ की विशेषताओं और कमियों का पता चलता जाएगा. अपने किट लैंस को उसकी सीमाओं तक उपयोग करें और नया लैंस या कैमरा तभी खरीदें जब आपको फ़ोटोग्राफ़ी का अच्छा अनुभव हो जाए और इसपर अतिरिक्त खर्च करने से आपको असुविधा न हो
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