रायपुर : प्रसिद्ध वैज्ञानिक और पद्मभूषण से विभूषित प्रो. जे.वी. नारलीकर ने कहा है कि यदि वैज्ञानिकों के प्रयास सफल नहीं हुए तो 14 अगस्त 2126 को धरती से एक धूमकेतु टकराएगा और उसकी उष्मा से धरती की प्राण वायु (ऑक्सीजन) खत्म हो जाएगी, जिससे धरती पर जीवन खत्म हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ की राजधानी स्थित पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में शुरू हुए पांच दिवसीय इंस्पायर कैम्प के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. नारलीकर ने कहा कि एक धूमकेतु पृथ्वी की कक्षा के समीप है और आशंका है कि 14 अगस्त 2126 को वह पृथ्वी से टकराएगा। इसका रुख बदलने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक प्रयासरत हैं।
उन्होंने `स्ट्रेंज इवेन्ट इन आवर सोलर सिस्टम` विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि पृथ्वी पर 50 हजार साल पहले एक धूमकेतु का टुकड़ा औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में गिरा था, जिसके गड्ढे को आज भी देखा जा सकता है। इससे पहले अमेरिका में भी उल्का पिंड गिर चुका है। प्रो. नारलीकर ने कहा कि धूमकेतु के टुकड़ों में इतनी उष्मा होती है कि वे पृथ्वी की पूरी ऑक्सीजन को सोख सकते हैं। ऑक्सीजन न होने से पृथ्वी के जीव-जंतुओं का जिंदा रह पाना असंभव हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ की राजधानी स्थित पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में शुरू हुए पांच दिवसीय इंस्पायर कैम्प के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. नारलीकर ने कहा कि एक धूमकेतु पृथ्वी की कक्षा के समीप है और आशंका है कि 14 अगस्त 2126 को वह पृथ्वी से टकराएगा। इसका रुख बदलने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक प्रयासरत हैं।
उन्होंने `स्ट्रेंज इवेन्ट इन आवर सोलर सिस्टम` विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि पृथ्वी पर 50 हजार साल पहले एक धूमकेतु का टुकड़ा औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में गिरा था, जिसके गड्ढे को आज भी देखा जा सकता है। इससे पहले अमेरिका में भी उल्का पिंड गिर चुका है। प्रो. नारलीकर ने कहा कि धूमकेतु के टुकड़ों में इतनी उष्मा होती है कि वे पृथ्वी की पूरी ऑक्सीजन को सोख सकते हैं। ऑक्सीजन न होने से पृथ्वी के जीव-जंतुओं का जिंदा रह पाना असंभव हो जाएगा।
zeenews
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