Tuesday, 18 February 2014

नासा वैज्ञानिक कल्पना चावला का जीवन परिचय

कल्पना चावला का जन्म 1 जुलाई, 1961 ई. को हरियाणा के करनाल कस्बे में हुआ था। कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय (बाद में उन्होंने अमेरिका की नागरिकता ले ली थी) महिला थी। कल्पना के पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला तथा और माता का नाम संज्योती था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनों मे सबसे छोटी थी।
शिक्षा कल्पना चावला ने 1976 में करनाल के टैगोर स्कूल से स्नातक, 1982 में चंडीगढ़ से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग तथा 1984 में टेक्सास विश्वविद्यालय से एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम. ए. किया। उन्होंने 1988 में कोलोरेडो विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़ फि़लॉसफ़ी की डिग्री प्राप्त की। इसी वर्ष कल्पना ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। 1994 में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया। उन्होंने फ्ऱांसीसी व्यक्ति जीन पियर से शादी की थी।
भारत की कल्पना चावला का जन्म करनाल, हरियाणा, में एक पंजाबी हिंदू भारतीय परिवार में पैदा हुआ था कल्पना का संस्कृत में मतलब है कल्पना करना इमेजिनेशन उड़ान में उसकी रुचि जेआरडी टाटा, जो एक अग्रणी भारतीय पायलट और उद्योगपति थे उनसे प्रेरित हो कर हुई थी।
कल्पना ने टैगोर पब्लिक स्कूल, करनाल से स्कूली शिक्षा ली और वह 1982 में चंडीगढ़, भारत, में पंजाब इंजीनियरिंग से आगे की पढाई की और 1984 में टेक्सास विश्वविध्यालय से एरोस्पेस इंजनियरिंग में मास्टर ऑफ़ साइंस की डिग्री ली।
1988 में कल्पना ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में कम करना शुरू किया 1994 में कल्पना चावला का नासा के द्वारा चयन किया गया और मार्च 1995 में अन्तरिक्ष यात्रियों के 15 वें ग्रुप में कल्पना चावला का अन्तरिक्ष यात्री के रूप में चयन हुआ जानसन स्पेस सेंटर में एक साल के प्रशिक्षण के बाद कल्पना चावला की अन्तरिक्ष यात्री के प्रतिनिधि के रूप में तकनीकी क्षेत्रों के नियुक्ति की गयी। यहाँ पर उनके दो प्रमुख काम थे रोबोटिक उपकरणों का विकास और स्पेस शटल को नियंत्रित करने वाले साफ्ट वेयर की शटल एवियोनिक्स प्रयोगशाला में टेस्टिंग करना।
कल्पना चावाला की प्रथम उड़ान एस टी एस 87 कोलम्बिया शटल से सम्पन्न हुई इसकी अवधि 19 नवम्बर 1997 से 5 दिसम्बर 1997 थी .इस में उन परीक्षणों पर जोर दिया गया कि अन्तरिक्ष में भारहीनता किस तरह से भौतिक किर्याओं को प्रभावित करती है यह मिशन अन्तरिक्ष में 376 घंटे और 34 मिनट रहा और इस दौरान स्पेस शटल ने धरती की 252 परिक्रमायें की।
कल्पना की दूसरी और आखिरी उड़ान 16 जनवरी 2003 को स्पेस शटल कोलम्बिया से शुरू हुई। यह 16 दिन का अन्तरिक्ष मिशन था जो पूरी तरह से विज्ञान और अनुसन्धान पर आधारित था। इस मिशन में अन्तरिक्ष यात्रियों ने 2 दिन 24 24 घंटे काम किया था और 80 परिक्षण और प्रयोग सम्पन्न किये थे लेकिन 1 फरवरी 2003 को कोल्म्बियाँ स्पेस शटल लेंडिंग से पहले ही दुर्घटना ग्रस्त हो गया और कल्पना के साथ बाकी सभी 6 अन्तरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गयी।
उनकी दूसरी उड़ान को देखने उनके माता पिता और उनकी दोनों बहने भी भारत से अमेरिका गए थे और वहां पर उसकी वापसी का इन्तजार कर रहे थे पर वक़्त को कुछ और मंजूर था कल्पना वापस नहीं आई वह कल्पनाओं में ही खो गयी कल्पना चावाला के साक्षात्कार के कुछ अंश उनकी दूसरी उड़ान से पहले
क्या आप बतायेंगी कि आपको अन्तरिक्ष के विषय में कैसे रूचि हुई और इतनी की इसने आपको नासा की और मोड़ दिया आप यहाँ कैसे आयीं ? यहाँ विज्ञाना की कौन सी चीज ने आपको आकर्षित किया ? क्या आपको इस से सहायता मिली ?
कल्पना जब में भारत के हाई स्कूल में पढ़ रही थी तो मैं सोचा करती थी की मैं बहुत भाग्यशाली हूँ जो करनाल जैसे शहर में जन्मी। जहाँ पर उस समय भी फ्लाइंग क्लब थे मैंने छोटे छोटे पुष्पक विमान उड़ते हुए देखती थी। मैं और मेरा भाई कभी कभी साइकल चालते हुए इन उड़ते हुए विमानों को देखा करते साथ साथ मैं अपने पिता जी से पूछती रहती कि क्या मैं इन वायुयानों में बैठ कर उड़ सकती हूँ ? हमारे पिता जी हमें फ्लाइंग क्लब ले जाया करते और पुष्पक विमानों में बैठा कर सैर कराया करते थे ..मैंने समझती हूँ वहीँ से मुझे एरोस्पेस इंजनियरिंग के प्रति रूचि हुई। उम्र के साथ मैंने भारत के जे आर डी टाटा का नाम सुना जिन्होंने भारत में मेल भेजने के लिए वायुयानों का प्रयोग किया तभी इन्ही सब बातो के कारण जब मैं पढ़ रही थी कोई मुझसे पूछता कि तुम बड़ी हो कर क्या बनोगी तो मैं कहती एरोस्पेस इंजीनियर। मैं भाग्यशाली थी कि मुझे पंजाब कालेज में एरोस्पेस इंजिनयरिंग में जगह मिल गयी यही मेरा सबसे प्रिय विषय था।
क्या आप बता सकती है कि किन किन लोगों ने आपके जीवन को प्रभावित किया या अब भी आपके लिए प्रेरणा के स्रोत हैं ?
कल्पना मुझे जीवन में अनेक लोगों से प्रेरण मिली सबसे अधिक अपने अध्यपकों और किताबों से कल्पना चावला के दूसरी अन्तरिक्ष के कुछ तथ्य
1 ) प्रथम भारतीय अमरीकी अन्तरिक्ष यात्री जन्म यहाँ भारत में हुआ बाद में वह अमरीकी नागरिक बन गयी
2 ) 1994 में कल्पना का अन्तरिक्ष यात्री के रूप में चयन।
3 ) अमरीकी डाक्टरेट और एरोस्पेस इंजिनयरिंग में एम एस।
4 ) अन्तरिक्ष में जाने वाली दूसरी भारतीय महिला पहले यात्री राकेश शर्मा थे।
5 ) फ्रांसीसी जान पियर से शादी जो एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर थे।
6) स्पेस शटल की यह 13 उड़ान थी।
7 ) सन 2003 में सम्पन स्पेस शटल की 5वी उड़ान।
8 ) 1986 में च्लेंजर दुर्घटना के बाद की 88वी शटल उड़ान।
9 ) यह मिशन अल्फा स्टेशन की असेम्बली के लिए नहीं था।
10 ) कोलम्बिया स्पेस शटल की 28 विन उड़ान।
11 ) शटल का 85 वी दिन का प्रमोचन
12 ) केनेडी स्पेस सेंटर की 62 वी पूर्व निर्धारित लेंडिंग।
13 ) 93 दिन की लेनिदंग।
14 ) केंडी स्पेस सेंटर में 48 वि दिन लैंडिंग। 15 ) स्पेस शटल चेल्न्जर की दुर्घटना के 16.98 वर्ष बाद शटल मिशन।
16 ) स्पेस शटल च्लेंजर की दुर्घटना के 6, 196.96 दिन के बाद का मिशन।

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