पिछली पोस्ट से जारी…
6.1) धुंधली फोटो खींचने से बचें - फाइन-आर्ट फोटोग्राफी में धुंधली फोटो कलात्मक लगती हैं लेकिन सामान्य फोटोग्राफी में धुंधली फोटो खिंचना बहुत बड़ा दोष है. फोटो धुंधली आने के कई कारण हैं जैसे कैमरा, फोटोग्राफर, या विषय का हिलना; कैमरा फोकस में नहीं होना, या कम शटर स्पीड में फोटो लेना. इससे बचने के लिए फोटो लेते समय हिले-डुलें नहीं और कैमरे को उसकी ग्रिप से पकड़ने की आदत डालें. दूर बाहें फैलाकर फोटो लेने की बजाय जूम का उपयोग करें. आजकल छोटे कैमरों में भी कंपन को कम करने के लिए इमेज स्टेबलाइजेशन या वाइब्रेशन रिडक्शन जैसे फीचर्स आने लगे हैं जो कैमरे या लेंस के भीतर यांत्रिक माध्यम से कंपन को कम कर देते हैं.
6.2) ट्राइपॉड का उपयोग करें - यदि आपके हाथ अधिक हिलते हों या आप कम प्रकाश में या अधिक जूम का उपयोग करके फोटो लेते हों या आप पैनोरमा/एचडीआर सीरीज़ शूट करते हों तो आपको ट्राइपॉड का उपयोग अवश्य करना चाहिए. लंबे एक्सपोज़र (एक सेकंड से अधिक) के दौरान कैमरे को हिलने से बचाने के लिए सेल्फ-टाइमर या रिमोट कंट्रोल का उपयोग करना चाहिए.
7.1) फ्लैश का उपयोग - कम प्रकाश में फ्लैश का उपयोग करने से फोटो में आंखें भुतहा लाल दिखतीं हैं क्योंकि कम प्रकाश में पुतलियां फैल जातीं हैं और फ्लैश की तीखी चमक आंखों की भीतरी दीवार तक चली जाती है. इस समस्या से बचने के लिए सभी नए कैमरों में रेड-आई रिडक्शन (Red-eye reduction) फीचर मौजूद रहता है. इस सिस्टम में फोटो खींचने से पहले कैमरा कुछ बार प्लैश चमकाता है जिससे आंखों की पुतलियां फ्लैश की चमक से सिकुड़ जातीं हैं और आंखें लाल नहीं दिखतीं. इसके अलावा यदि आप विषय को सीधे कैमरे की ओर देखने की बजाय कहीं और देखने को कहेंगे तो यह समस्या नहीं आएगी. कुछ सॉफ्टवेयर भी रेड-आई की समस्या को दूर कर सकते हैं.
7.2) फ्लैश का अनावश्यक उपयोग न करें - फ्लैश फोटोग्राफी का एक और प्रमुख दोष यह है कि कभी-कभी इससे विषय के ठीक पीछे बैकग्राउंड या दीवार पर अखरनेवाली परछांई आ जाती है जिसे एडिट नहीं किया जा सकता. इससे बचने के लिए बाउंस फ्लैश (bounce flash) या फ्लैश सिंक (sync) तकनीक का प्रयोग करते हैं जिसे फ्लैश पर लिखे जाने वाले लेख में विस्तार से बताया जाएगा. बहुत निकट से फ्लैश का प्रयोग करने पर फोटो ओवरएक्सपोज़्ड लगता है और फोटो में मौजूद व्यक्तियों का चेहरा “washed out” लगने लगता है. यदि संभव हो तो फ्लैश का इन्डोर प्रयोग न करें. सूरज या तेज प्रकाश का स्रोत जब विषयवस्तु के पीछे हो तब प्लैश का प्रयोग अवश्य करना चाहिए ताकि कैमरा विषयवस्तु को अंडरएक्सपोज़ न करे. इसे फ़िल फ्लैश (fill flash) कहा जाता है.
8) अच्छे और खराब फोटो की पहचान करना - नियमित रूप से अपने खींचे फोटोज़ का अवलोकन करें और उन्हें उत्कृष्ट, अच्छे, औसत, और खराब की श्रेणियों में विभाजित करें. अपने खींचे फोटोज़ पर जल्द मोहित होने की बजाय यह खोजें कि उनमें क्या कमी रह गई है. डिजिटल की यही खूबी है कि आप सैंकड़ो फोटो खींच सकते हैं इसलिए उन्हें खराब या अनुपयोगी जानकर डिलीट करने से कतराएं नहीं. इस प्रक्रिया को कठोरतापूर्वक करें. याद रखें कि खराब फोटो खींचने में आपने सिर्फ समय ही नष्ट किया है इसलिए अगली बार गलतियों को दोहराएं नहीं. बीसवीं शती के प्रख्यात फोटोग्राफर हेनरी कार्तियर-ब्रेसों (Henri Cartier-Bresson) ने कहा था, “Your first 10,000 photographs are your worst.” यह उन्होंने फिल्म फोटोग्राफी के बारे में कहा था. डिजिटल युग में इसे आसानी से 20,000 किया जा सकता है. यदि आप एसएलआर कैमरा धारक हैं तो आपका कैमरा का मैकेनिकल शटर कम-से-कम 1,00,000 या उससे अधिक फोटो खींचने के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसलिए अधिकाधिक फोटो खींचने से परहेज नहीं कीजिए. यदि किसी कैमरे की औसत उम्र पांच-सात साल मानें तो आपको हर साल लगभग 15 से 20 हजार फोटो खींचने चाहिए. यदि आपकी खींची 10% फोटो भी बेहतरीन हुईं तो आपके पास 10,000 उत्तम फोटोज़ का संग्रह हो जाएगा.
9) सामान्य टिप्स - अच्छी परिस्तिथियों में हर कैमरे से उत्तम फोटो खींची जा सकतीं हैं. बहुत से लोग तो फोन के कैमरे से भी ऐसी फोटो खींच लेते हैं जो अत्याधुनिक कैमरों से ली गईं फोटो को टक्कर देतीं हैं.
यदि आप डिजिटल फोटो खींचते हों तो ओवरएक्सपोज़र करने से बचें. डिजिटल कैमरों से खींची गई फोटोज़ यदि अंडरएक्सपोज़्ड हों तो उनमें सॉफ्टवेयर सुधार बेहतर कर सकते हैं जबकि ओवरएक्सपोज़्ड फाइल में सुधार करना कठिन होता है.
कैमरा कितना ही अच्छा और महंगा क्यों न हो, उसकी भी एक सीमा होती है. कैमरे की सीमाओं के भीतर काम करना सीखिए और नए उपकरण खरीदने की जल्दबाजी मत कीजिए. एसएलआर कैमरा धारक कैमरे की बजाए अच्छे लेंस में निवेश करें.
फोटो मेमोरी कार्ड से कंप्यूटर/हार्ड ड्राइव में फौरन ट्रांसफर कर लें. कार्ड जब तक फुल न हो जाएं तब तक उससे उपयोगी फोटो डिलीट न करें. कंप्यूटर का बैक-अप नियमित लेते रहें. बहुत अच्छी फोटोज़ को खो देने का दर्द लंबे अरसे तक सालता है. यदि आप RAW फाइल में शूट करते हों तो उत्कृष्ट फोटोज़ की RAW फाइलों को स्थाई तौर पर स्टोर करने का बंदोबस्त कर लें.
किसी भी परिस्तिथि में फोटो तब तक लें जब तक आपको मनपसंद शॉट नहीं मिल जाए. परफेक्ट कंपोजीशन को खोजने में अमूमन कुछ समय लगता है. अभ्यास करते रहने से दृष्टि फोटो लेने के लिए माकूल मौके को पल में ही पहचान लेतीं हैं.
Hit-and-trial विधि को अपनाते हुए सीखते रहें. एक ही सिचुएशन की फोटो अलग-अलग सेटिंग में खींचिए और जिस सेटिंग में सबसे अच्छी फोटो आए उसे नोट कर लें. यह भी नोट कर लें कि किस सेटिंग में फोटो अच्छी नहीं आ सकती.
कैमरा और लेंस बहुत नाज़ुक उपकरण होते हैं. इन्हें संभाल कर इस्तेमाल करें. बहुत तेज धूप और पानी से इनका बचाव करें. कैमरे के व्यूफाइंडर से सूर्य की ओर सीधे नहीं देखिए. गिरने या किसी चीज से टकराने पर कैमरे की बॉडी और लेंस के एलीमेंट को नुकसान पहुंचने पर ये बेकार हो जाते हैं.
किसी टूरिस्ट लोकेशन में जब आपके साथ के लोग फोटो लेने के लिए कहीं भीड़ लगाए हों तो आप वहां जाइए जहां कोई नहीं जा रहा हो. जब मौसम खराब हो तो बाहर निकलकर फोटो लेने के बारे में ज़रूर सोचिए लेकिन उपकरणों की हिफाज़त का इंतजाम करके निकलें.
बच्चों के फोटो लेते समय घुटनों पर बैठने की आदत डालें.
फोटोग्राफी पर सबसे अच्छी किताबों की खोज करें और उनमें दी गई जानकारियों का प्रेक्टिकल करके देखें. मेरे पास जो पुस्तकें हैं उनका रिव्यू मैं पोस्ट करता रहूंगा. इसी वेबसाइट के साइडबार में दी गई वेबसाइटों पर जाकर लेख पढ़ें और फोटो देखिए. कई वेबसाइटों में दी गई फोटो का Exif डेटा दिया जाता है जिसे देखकर यह पता चल जाता है कि फोटो खींचने के लिए फोटोग्राफर ने कैमरे में कौन सी सेटिंग्स कीं.
लोगों की तथा उनकी संपत्तियों की फोटो लेने से पहले उनसे पूछ लें. महिलाओं की फोटो उनकी अनुमति के बिना न लें. मंदिरों, कलादीर्घाओं, महत्वपूर्ण शासकीय इमारतों, और पुलों की फोटो लेते समय सावधान रहें और पता लगा लें कि उनकी फोटो लेना निषिद्ध है या नहीं.
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