एक उपग्रह ने धरती पर सबसे ठंडी जगह का पता लगा लिया है, वहां का तापमान शून्य से
93.2 डिग्री सेल्सियस नीचे यानी करीब माइनस 135.8 फ़ेहरनहाइट है.
शायद आपका अंदाज़ा बिल्कुल सही है, ये जगह अंटार्कटिका के ठीक बीच में है. ये तापमान 10 अगस्त 2010 को रहा था.
शोधकर्ताओं का कहना है कि ये आँकड़ा शुरुआती है, संभावना है कि जब वे अंतरिक्ष में मौजूद थर्मल सेंसर की मदद से आंकड़ों को और खंगालेंगे तो शायद इससे भी कम तापमान के बारे में पता चले.
इससे पहले अंटार्कटिका में सबसे कम तापमान 89.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. ये तापमान रूस के वोस्तोक बेस में 21 जुलाई 1983 को दर्ज हुआ था.
यहां ये बताना ज़रूरी है कि 1983 का आंकड़ा सतह से कुछ मीटर की ऊंचाई पर मौजूद हवा का था जबकि उपग्रह से मिला आंकड़ा बर्फ़ की सतह का है. लेकिन ये बिल्कुल तय माना जा रहा है कि इसी जगह का हवा का तापमान भी 1983 में दर्ज तापमान से कम ही होगा.
अमरीका के कोलोरैडो के नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर के टेड स्कैमबोस कहते हैं, "इतने कम तापमान की कल्पना करना ही मुश्किल है."
उनके अनुसार, "मैं इसे इस तरह देखता हूं कि ये तापमान पानी के जमने से उतना ही कम है जितना उबलता हुआ पानी जमते हुए पानी से ज़्यादा होता है. नया तापमान अलास्का या साइबेरिया के तापमान से 50 डिग्री कम है और ग्रीनलैंड की चोटियों से 30 डिग्री कम है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "इसकी तुलना अगर उत्तर अमरीका के कुछ स्थानों की मौजूदा शीत लहर से की जाए तो वो बेहद ज़्यादा लगेगी."
डॉक्टर स्कैमबोस ने ये बात सैन फ़्रांसिस्को में अमरीकी जियोफ़िज़िकल यूनियन की बैठक में कही.
ये साफ़ है कि कई बेहद ठंडी जगहें अंटार्कटिका के बेहद अंदर, पहाड़ों की चोटियों पर "मोतियों की तरह निकली हुई" होती हैं.
डॉक्टर स्कैमबोस कहते हैं, "सतह पर ठंडी हुई हवा नीचे बहती है क्योंकि ये घनी होती है और वो इन बेहद छिछली जगहों में चली जाती है."
वह कहते हैं, "अगर आप इनमें से किसी जगह पर खड़े हों तो आपको शायद ही लगे कि आप किसी निचली जगह पर हैं."
साल 2010 में जो तापमान दर्ज हुआ था वो इन्हीं दो बिंदुओं के बीच था.
सबसे गर्म जगह
इस अध्ययन में इस्तेमाल किया जा रहा एक उपकरण थर्मल इंफ़्रारेड सेंसर है जो हाल ही में लॉन्च किए गए उपग्रह लैंडसैट-8 पर है.
इस सेंसर का रेज़ोल्यूशन बहुत ज़्यादा है लेकिन इसके नए होने की वजह वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे मिले आंकड़ों को समझने में वक़्त लगेगा.
डॉक्टर स्कैमबोस कहते हैं, "मैं गिनीज़ को सलाह दूंगा कि वो इस आंकड़े को वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में डालने की जल्दी न करें क्योंकि आने वाले कुछ सालों में आंकड़ों में बदलाव होगा. लेकिन मैं ये कह सकता हूं कि दुनिया में सबसे ठंडी जगहें कौन सी हैं और क्यों हैं."
अगर तुलना की जाए तो, दुनिया में सबसे ज़्यादा तापमान साल 2005 में दक्षिण पूर्वी ईरान के दश्त-ए-लत रेगिस्तान में दर्ज हुआ था. ये तापमान 70.7 डिग्री सेल्सियस था और इसे भी एक उपग्रह ने ही दर्ज किया था.
वहीं सूरज और उसकी परिक्रमा करने वाले ग्रहों में सबसे कम तापमान किसी ऐसे ग्रह या अंतरिक्ष पिंड पर होगा जिसका कोई वातावरण न हो और जो कहीं अंधकार में चक्कर लगा रहा हो. धरती के चंद्रमा पर माइनस 238 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हो चुका है.
BBC
शायद आपका अंदाज़ा बिल्कुल सही है, ये जगह अंटार्कटिका के ठीक बीच में है. ये तापमान 10 अगस्त 2010 को रहा था.
शोधकर्ताओं का कहना है कि ये आँकड़ा शुरुआती है, संभावना है कि जब वे अंतरिक्ष में मौजूद थर्मल सेंसर की मदद से आंकड़ों को और खंगालेंगे तो शायद इससे भी कम तापमान के बारे में पता चले.
इससे पहले अंटार्कटिका में सबसे कम तापमान 89.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. ये तापमान रूस के वोस्तोक बेस में 21 जुलाई 1983 को दर्ज हुआ था.
यहां ये बताना ज़रूरी है कि 1983 का आंकड़ा सतह से कुछ मीटर की ऊंचाई पर मौजूद हवा का था जबकि उपग्रह से मिला आंकड़ा बर्फ़ की सतह का है. लेकिन ये बिल्कुल तय माना जा रहा है कि इसी जगह का हवा का तापमान भी 1983 में दर्ज तापमान से कम ही होगा.
अमरीका के कोलोरैडो के नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर के टेड स्कैमबोस कहते हैं, "इतने कम तापमान की कल्पना करना ही मुश्किल है."
उनके अनुसार, "मैं इसे इस तरह देखता हूं कि ये तापमान पानी के जमने से उतना ही कम है जितना उबलता हुआ पानी जमते हुए पानी से ज़्यादा होता है. नया तापमान अलास्का या साइबेरिया के तापमान से 50 डिग्री कम है और ग्रीनलैंड की चोटियों से 30 डिग्री कम है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "इसकी तुलना अगर उत्तर अमरीका के कुछ स्थानों की मौजूदा शीत लहर से की जाए तो वो बेहद ज़्यादा लगेगी."
डॉक्टर स्कैमबोस ने ये बात सैन फ़्रांसिस्को में अमरीकी जियोफ़िज़िकल यूनियन की बैठक में कही.
'मोतियों की तरह'
बहुत कम तापमान की वजह से अंटार्कटिका पर जीवन मुश्किल है |
डॉक्टर स्कैमबोस और उनके साथी पिछले 30 साल से उपग्रहों से मिले आंकड़ों का निरीक्षण कर रहे हैं.
उनका कहना है कि अंटार्कटिका में सबसे ज़्यादा ठंड अंधेरे वाले ठंड के महीनों में ऊंचाइयों पर पड़ती है. जहां बेहद सूखी हुई और साफ़ हवा गर्मी को तेज़ी से अंतरिक्ष में चले जाने देती है.ये साफ़ है कि कई बेहद ठंडी जगहें अंटार्कटिका के बेहद अंदर, पहाड़ों की चोटियों पर "मोतियों की तरह निकली हुई" होती हैं.
डॉक्टर स्कैमबोस कहते हैं, "सतह पर ठंडी हुई हवा नीचे बहती है क्योंकि ये घनी होती है और वो इन बेहद छिछली जगहों में चली जाती है."
वह कहते हैं, "अगर आप इनमें से किसी जगह पर खड़े हों तो आपको शायद ही लगे कि आप किसी निचली जगह पर हैं."
साल 2010 में जो तापमान दर्ज हुआ था वो इन्हीं दो बिंदुओं के बीच था.
सबसे गर्म जगह
इस अध्ययन में इस्तेमाल किया जा रहा एक उपकरण थर्मल इंफ़्रारेड सेंसर है जो हाल ही में लॉन्च किए गए उपग्रह लैंडसैट-8 पर है.
इस सेंसर का रेज़ोल्यूशन बहुत ज़्यादा है लेकिन इसके नए होने की वजह वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे मिले आंकड़ों को समझने में वक़्त लगेगा.
डॉक्टर स्कैमबोस कहते हैं, "मैं गिनीज़ को सलाह दूंगा कि वो इस आंकड़े को वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में डालने की जल्दी न करें क्योंकि आने वाले कुछ सालों में आंकड़ों में बदलाव होगा. लेकिन मैं ये कह सकता हूं कि दुनिया में सबसे ठंडी जगहें कौन सी हैं और क्यों हैं."
अगर तुलना की जाए तो, दुनिया में सबसे ज़्यादा तापमान साल 2005 में दक्षिण पूर्वी ईरान के दश्त-ए-लत रेगिस्तान में दर्ज हुआ था. ये तापमान 70.7 डिग्री सेल्सियस था और इसे भी एक उपग्रह ने ही दर्ज किया था.
वहीं सूरज और उसकी परिक्रमा करने वाले ग्रहों में सबसे कम तापमान किसी ऐसे ग्रह या अंतरिक्ष पिंड पर होगा जिसका कोई वातावरण न हो और जो कहीं अंधकार में चक्कर लगा रहा हो. धरती के चंद्रमा पर माइनस 238 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हो चुका है.
BBC
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