Saturday, 1 February 2014

बर्फ़ीले अंटार्कटिका पर किसका है हक़?

अंटार्कटिका धरती का सबसे निचला हिस्सा है जहां आसानी से सूरज की रौशनी भी नहीं पहुंच पाती है

हाल ही में चिली के राष्ट्रपति पिनयेरा अंटार्कटिका पहुँचे. वहाँ की धरती के एक हिस्से पर अपना हक़ जताने के लिए. चिली के राष्ट्रपति ने बाक़ायदा अंटार्कटिका की धरती पर पटी बर्फ़ के गहरे चादर में झंडा गाड़कर ऐलान किया कि उस जगह पर चिली का रिसर्च स्टेशन बनेगा.
अंटार्कटिका हमारी धरती का सबसे निचला हिस्सा है. यहाँ सूरज की रोशनी भी सीधी नहीं पहुँच पाती है. हर तरफ शानदार सफ़ेद बर्फ़ की ऊँची-नीची पहाड़ी है जिस पर अब तक किसी का कोई हक़ नहीं था.

लेकिन अब इस पर कई राष्ट्र एक साथ दावा करने लगे हैं.
चिली के राष्ट्रपति पिनयेरा ने जब अंटार्कटिका पर अपना झंडा गाड़ा तब उन्होंने अपने देश का इरादा कुछ इस तरह से व्यक्त किया, ''ये हमारा अगला कदम है. हम अंटार्कटिका में अपनी मौजूदगी को पुख्त़ा कर रहे हैं. हम उस महाद्वीप पर अपना दावा पेश कर रहे हैं जो हमारे देश के नज़दीक है और भविष्य का महाद्वीप है.''


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बढ़ती दिलचस्पी

19वीं सदी में लोगों को अंटार्कटिका के अस्तित्व का पता तक नहीं था मगर अब वहाँ पाँव जमाने की होड़ सी मच गई है जिसकी शुरूआत पिछले साल दिसंबर महीने में ब्रिटेन ने की थी.
पिछले महीने ही ब्रिटेन की सरकार ने महारानी एलिज़ाबेथ की ताजपोशी के 60 साल पूरे होने के मौक़े पर अंटार्कटिका के एक हिस्से का नाम महारानी एलिज़ाबेथ के नाम पर रखने की घोषणा की थी जिसका अर्जेंटीना ने कड़ा विरोध किया था.

जब विदेश मंत्री विलियम हेग ने महारानी एलिज़ाबेथ के नाम पर अंटार्कटिका के एक हिस्से का नामकरण करने की घोषणा की तब अर्जेंटीना ने ब्रिटेन के राजदूत को तलब कर लिया और उनके दावे पर कड़ा ऐतराज़ जताया.
अर्जेंटीना का दावा है कि अंटार्कटिका के जिस हिस्से पर ब्रिटेन अपना दावा पेश कर रहा है असल में वो उनके अधिकार क्षेत्र में आता है.
हालांकि, अंटार्कटिका की धरती पर किए जा रहे इन दावों को कोई नहीं मानता मगर दावेदारी की बढ़ती संख्या को देखते हुए करीब पचास साल पहले एक समझौता हुआ था जिसमें तय किया गया था कि अंटार्कटिका में कोई सैनिक या औद्योगिक गतिविधि नहीं होगी.

भारत की दिलचस्पी

अंटार्कटिका के अलग-अलग हिस्सों पर दावा करने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं लेकिन हाल के दिनों में दावों को लेकर ब्रिटेन का विवाद सबसे ज्य़ादा चिली और अर्जेंटीना के साथ है.
लेकिन ऐसा देखा गया है कि पिछले कुछ सालों से कई कारणों के कारण अंटार्कटिका में विभिन्न देशों की दिलचस्पी बढ़ी है.
कुछ समय पहले ही कंबरिया के एक जुनूनी, लियो हाउलडिंग ने अंटार्कटिका की दो हज़ार मील की यात्रा कर वहां से फोनकॉल करने का रिकॉर्ड बनाया.
लियो हाउलडिंग अंटार्कटिका के बारे में पता लगाने वाले अभियान दल 'वुल्फ्स टूथ' के सदस्य हैं.
ज़ाहिर सी बात है कि एक फोनकॉल करने के लिए अंटार्कटिका कोई आसान जगह नहीं है.
इससे पहले एक ब्रितानी टीम ने अपने 12 सदस्यों का एक वैज्ञानिक दल अंटार्कटिका भेजा था. ये अभियान दल अंटार्कटिका की गहराई में दबी एक नदी 'एल्सवर्थ' का अस्तित्व तलाशने वहां गया था.
अंटार्कटिका पर झंडा गाड़ते चिली के राष्ट्रपति पिनयेरा
ये लोग वहां कई मीलों तक फैले बर्फ में नदी को ढूंढने की कोशिश कर रहे थे.
अंटार्कटिका में भारत की गहरी दिलचस्पी रही है, पिछले 30 वर्षों में भारत ने 30 अभियान दल वहाँ भेजे हैं.
भारत ने अपने वैज्ञानिकों का सात सदस्यीय दल पहली बार 1981 में अंटार्कटिका भेजा था. भारत के कई वैज्ञानिक अंटार्कटिका पर अनुसंधान कर रहे हैं.
अभी तक अंटार्कटिका को लेकर टकराव की नौबत तो नहीं आई है लेकिन ये कहना मुश्किल है कि ये स्थिति कब तक ऐसी ही बनी रहेगी.

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