एक सामान्य इंसान से ज्यादा कुछ बनने की चाहत हर किसी की होती है. इच्छाओं के समंदर में गोते लगाते हुए आप कई-कई कोशिशें करते हैं कि सबसे अलग, सबसे खास दिखें. किसी खास को देखकर शायद अपनी जिंदगी पर गुस्सा आता हो, जिंदगी से कुछ अच्छा न मिलने की शिकायत होगी. लेकिन क्या अलग और खास दिखने के लिए आप ऐसा कर सकते हैं! यह मिल तो सकता है बड़ी आसानी से लेकिन क्या खास बनने के लिए आप ऐसी जिंदगी जीना चाहेंगे!
हमारी बातों का मर्म समझने के लिए हमारे साथ आपको ईरान आना पड़ेगा. ईरान के आमू हाजी से मिलना होगा. जिन कारणों से ईरान के आमू हाजी आज सुर्खियों में हैं वह जानकर आप शायद हैरान हो जाएंगे. इनके जीने का सलीका देखना जितना आश्चर्यजनक है उसकी वजह जानकर आप और भी हैरान रह जाएंगे! क्या कभी ऐसा भी होता है! हां, होता है. इसलिए शायद कहते हैं कि जिंदगी जब जितनी मिले, उतनी जी लेनी चाहिए. क्या पता कब एक तूफान आए और सब कुछ खत्म हो जाए.
आमू हाजी आधुनिक समाज के ‘आदिम मानव’ हैं. 80 साल के आमू हाजी नहाते नहीं, न पका हुआ खाना खाते हैं. 5 लीटर पानी रोजाना पीते हैं. बढ़े हुए बाल कटवाने की कोई चिंता नहीं. आग में जलाकर बालों को छोटा कर लेते हैं. धूल-धूसरित से आमू हाजी के लिए उनकी दुनिया बस इतने नित्यकर्म तक ही है. रुपया-पैसा, घर, गाड़ियां तकनीक से न उन्हें मतलब है, न उनकी इस दिनचर्या में इसकी कोई जरूरत! पर आज के युग में ऐसा इंसान! कैसे? क्या वे टारजन हैं? जंगलों से आए हैं?
ऐसी आदतों के इंसान के लिए आज के युग में ऐसी ही सोच आ सकती है. हालांकि सच्चाई इससे बहुत अलग और दुखदाई है. 80 वर्षीय आमू की जिंदगी शुरुआती 20 सालों तक एकदम सामान्य थी. आम लोगों की तरह हाजी की दिनचर्या भी थी लेकिन जब वे 20 साल के थे इनकी जिंदगी में कोई बहुत बड़ा दुखदाई हादसा हुआ. दक्षिणी ईरान में इनके गांव देजगाह के लोग ऐसा ही कहते हैं. इनका कहना है कि 60 साल पहले तक आमू बिल्कुल सामान्य थे लेकिन तब इनकी जिंदगी में कोई हादसा हुआ था जिसके कारण इनकी मानसिक हालत बिगड़ गई और ये इस प्रकार रहने लगे. आज आलम यह है कि आमू पानी से डरते हैं. नहाना उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं और 60 सालों से वे नहाए भी नहीं हैं. इसके साथ ही खाने में भी वे पका हुआ खाना कभी नहीं खाते. हमेशा सड़ा हुआ कच्चा मांस खाना ही पसंद करते हैं. तेल का एक गंदा, पुराना केन उनका ग्लास है जिससे कम से कम 5 लीटर पानी वे रोज पीते हैं.
हालांकि अपनी आदतों के कारण आमू आज सुर्खियों में हैं. आम लोगों के लिए वह कोई खास इंसान हैं लेकिन ऐसा खास जिसे हर नजर सहानुभूति की नजरों से देखती है. हादसों से टूटी हुई यह ऐसी खास जिंदगी है जो कोई जीना नहीं चाहता. इसलिए शायद कहते हैं कि जीवन में जो मिले उसे खुशी से लेना चाहिए. वह कितना कीमती है उस वक्त हम समझ नहीं पाते लेकिन अगले ही पल जब वह छिन जाता है तो उसकी कीमत समझ आती है. हादसों से टूटे मानसिक रूप से बीमार आमू के साथ भी कुछ ऐसा ही है. 80 साल की बीमार जिंदगी में भले ही उनके पास खोने-पाने के लिए कुछ नहीं लेकिन उनके लिए उठी हर सहानुभूति की नजर जिंदगी के प्रति अपने रवैये को बदलने की सलाह देती है. तो आहा! जिंदगी! कीजिए और हर पल को गले लगाइए.
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